Monday, January 22, 2024

लाडले

 एक ने चाँद माँगा
दूजा सूरज निगल गया
तीसरे ने चक्र से सूरज ढक दिया
खेल खेल में प्रताप दिखा दिया 

कैकेयी से मांगे जो राजभोग रोज रोज
वही शबरी से स्वीकारे झूठे बेर
आठ लाख गोधन घर पर होकर भी
माखन चुराने में जरा न करे देर

एक ने धनुष तोडा, सीता को पाया 
मामूली पत्थर से सागर सेतु बंधाया
दूजे ने रुक्मिणी हरण किया
फिर सुभद्रा का हरण करवाया
सोलह हजार बंदिनियो को
छुड़ाकर पत्नी का दर्जा दे दिया

उधर सुरज को गुरु बनाकर
शनि पर भारी पड़ गए
अंजनेय हमारे बचपन में ही
देवताओ को पीछे छोड़ आये

इधर गोपियों के वस्त्र चुराए, 
तो कहीं द्रौपदी के वस्त्र अनंत हो जाए, 
उधर रामनाम सुना नहीं के
विभीषण के घर को आग से बचाये

एक चोर फिर भी योगेश्वर
दूजा मर्यादा पुरुषोत्तम
तीजा ज्ञान गुण सागर
तीनो सर्वज्ञ सर्वोत्तम

महाभारत हो या रामकथा
डोर संभाले सबकी
हमारे तीन लाडले सुने
हर किसीके मन की

-मुक्ता 

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