कभी सबका दोस्त हूँ
कभी ख़ुद ही का दुश्मन हूँ
किसी के लिए खलनायक हूँ
अपनी ही कहानी का नायक हूँ
मैं हूँ... तो कौन हूँ
कभी ख़ुद ही का दुश्मन हूँ
किसी के लिए खलनायक हूँ
अपनी ही कहानी का नायक हूँ
मैं हूँ... तो कौन हूँ
कभी कोई धर्म कोई जात हूँ
कभी पुरुष कभी औरत हूँ
कभी गोरा कभी काला
किसी ना किसी पहचान का मोहताज हूँ
मैं हूँ.. तो कौन हूँ
अग्नि से जलता नहीं
शस्त्र से कटता नहीं
ना हवा से सूखता हूँ
ना पानी से नम हूँ
मैं हूँ... तो कौन हूँ
ख़ुद से अनजान.,
दुनियादारी मे बेकार
जाने कौनसी तलाश मे मगन हूँ
ख़ुद ही की खोज मे
निकला हुआ खोजी हूँ
मैं हूँ... तो कौन हूँ
समझ हूँ.. चिंतन हूँ... मनन हूँ..
ज्ञान हूँ समय हूँ
पीड़ा हूँ सुख हूँ
कारण हूँ और कर्ता भी हूँ
मैं हूँ...तो कौन हूँ
अपूर्ण हूँ फिर भी संपूर्ण हूँ
भगवान नहीं पर उसका अंश हूँ
प्रकाश की तप्त किरण हूँ
कही शीतल छाया हूँ
मिट्टी हूँ.. सोना हूँ.. सादगी से भरा हूँ..
सामान्य हूँ..फिर भी विशेष हूँ..
पूरी दुनिया मे एकलौता जो हूँ
कुछ तो मकसद होगा जो मैं हूँ
पूरी दुनिया मे एकलौता जो हूँ
कुछ तो मकसद होगा जो मैं हूँ
तमस से ज्योति की तरफ
जानेवाला सफर हूँ
नाते रिश्तो मे घिरा हुआ
फिर भी अकेला प्रवासी हूँ
मैं हूँ... तो कौन हूँ
सफर हूँ और मंजिल भी हूँ
जहाँ हूँ वही स्थिर हूँ
फिर भी दौड़ मे लगा हूँ
थोड़ासा नादान भी हूँ
तृप्ति हूँ.. आत्मशोध भी हूँ
दिव्यतत्व का जागर हूँ
डोर है जिसके हाथ मे
हर कठपुतली की
उसकी लीला मे एक पात्र हूँ
हर कठपुतली की
उसकी लीला मे एक पात्र हूँ
किरदार निभा लू अच्छा बुरा
अंत मे उसकी शरण मे हूँ
अंत मे उसकी शरण मे हूँ
मैं हूँ.. तो मात्र हूँ..
बस... मात्र ... हूँ
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मुक्ता
बस... मात्र ... हूँ
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मुक्ता