Wednesday, September 30, 2020

मैं हूँ.. तो कौन हूँ















कभी सबका दोस्त हूँ 
कभी ख़ुद ही का दुश्मन हूँ 
किसी के लिए खलनायक हूँ 
अपनी ही कहानी का नायक हूँ 
मैं हूँ... तो कौन हूँ

कभी कोई धर्म कोई  जात हूँ 
कभी पुरुष कभी औरत हूँ 
कभी गोरा कभी काला 
किसी ना किसी पहचान का मोहताज हूँ 
मैं हूँ..  तो कौन हूँ

अग्नि से जलता नहीं 
शस्त्र से कटता नहीं 
ना हवा से सूखता हूँ 
ना पानी से नम हूँ 
मैं हूँ... तो कौन हूँ

ख़ुद से अनजान., 
दुनियादारी मे बेकार 
जाने कौनसी तलाश मे मगन हूँ 
ख़ुद ही  की खोज मे 
निकला हुआ खोजी हूँ 
मैं हूँ... तो कौन हूँ

समझ हूँ.. चिंतन हूँ... मनन हूँ.. 
ज्ञान हूँ समय हूँ 
पीड़ा हूँ सुख हूँ 
कारण हूँ और कर्ता भी हूँ
मैं हूँ...तो कौन हूँ

अपूर्ण हूँ फिर भी संपूर्ण हूँ 
भगवान नहीं पर उसका अंश हूँ 
प्रकाश की तप्त किरण हूँ 
कही शीतल छाया हूँ 

मिट्टी हूँ.. सोना हूँ.. सादगी से भरा हूँ..
सामान्य हूँ..फिर भी विशेष हूँ..  
पूरी दुनिया मे एकलौता जो  हूँ
कुछ तो मकसद होगा जो मैं हूँ 

तमस से ज्योति की तरफ 
जानेवाला सफर हूँ 
नाते रिश्तो मे घिरा हुआ 
फिर भी अकेला प्रवासी हूँ 
मैं हूँ... तो कौन हूँ

सफर हूँ और मंजिल भी हूँ 
जहाँ हूँ वही स्थिर हूँ 
फिर भी दौड़ मे लगा हूँ 
थोड़ासा नादान भी हूँ 

तृप्ति हूँ.. आत्मशोध भी हूँ 
दिव्यतत्व का जागर हूँ
डोर है जिसके हाथ मे 
हर कठपुतली की 
उसकी लीला मे एक पात्र हूँ 

किरदार निभा लू अच्छा बुरा 
अंत मे उसकी शरण मे हूँ
मैं हूँ.. तो मात्र हूँ..
बस... मात्र ... हूँ 
--
मुक्ता 

Tuesday, September 29, 2020

शायद वो खुद भी नहीं जानता

उसकी याद आनेसे हर बार 
मेरी नयी शुरुवात हो जाती है 
कितनी आसानी से ताकत दे जाता है वो 
ये शायद वो खुद भी नहीं जानता 

एक मुस्कुराहट आती है 
धीमी धीमी सी 
जिसकी मिठास का राज 
शायद वो भी नहीं जानता 

मेरी ज़िन्दगी उसी पल 
संपूर्ण हो जाती है 
किसी तलाश की जरूरत नहीं रहती 
इस ठहराव को शायद वो नहीं जानता 

मेरी शायरी अपनेआप 
खूबसूरत हो जाती है 
मेरी कलम को मेहनत नहीं करनी पडती 
उस गेहरे एहसास को वो नहीं जानता 

जानने की कोशिश भी बेकार होंगी 
उसकी गलती भी नहीं 
कितने अधूरे और निकम्मे होते है शब्द  
ये मेरे अंदर का शायर अब है  जानता  

बड़ी मेहेर है रबकी 
कोई सफर नहीं 
किसी मंजिल की तलाश नहीं 
कोई इंतजार नहीं 
सुकून ही सुकून बस... 

उसमे डूब जाने के लिए 
मुझे उसी की जरूरत नहीं 
कितनी खूबसूरत बना दी उसने मेरी ज़िन्दगी 
वो नादान खुद भी नहीं जानता

समंदर की गहराई से होकर 
आसमान की ऊंचाई 
मुझे यूँही पलभर मे हासिल है  
मेरी उड़ान का राज 
शायद वो नहीं जानता 

निहाल है अपने आपमें 
ज़िन्दगी उस पर 
हार कर पूरी दुनिया जीत जाना 
उसी से सीखा मैंने 
कितनी काबिल है उसकी हर अदा
शायद वो खुद भी नहीं जानता 

मुक्ता

Thursday, September 3, 2020

Love is Attention to Detail

Simplest definition of love is 'attention to detail'. A mother will check even the small space between two fingers of baby's feet while giving a bath to the little one. This is love. Attention to detail. When I see flowers and birds and butterflies and all animals I notice this kind of attention. God pays attention to every smallest of the detail. It feels wonderful to notice this.