Monday, May 17, 2021

रिश्ता निभाएं तो तू निभाएं

रिश्ता निभाएं तो तू निभाएं
बाकी सब बाजार सा है
प्रेम करें तो तू करें
बाकी सब व्यवहार सा है

हात पकडे तो तू पकडे
नही तो बस आग का दरिया सा है
याद करें तो तू करें
बाकी सब सपना सा है

सच्चाई की बात करें तो तू करें
हम सब मे जरा सा झूठ सा है

साथी है तू,सारथी भी
तू ही हमसफर और दोस्त भी
अलग ढंग है तेरी रौशनी के
घने अँधेरे मे एक विश्वास तू ही है

हम भागते रेहते है तुझसे
ख़ुद को बचाके चलते है
ख़ुशी और ग़ुरूर मे भुलाकर तुझे
फिर से हम सब खो बैठते है

रिश्ता फिरसे तू निभाता है
हात पकड़कर तू आगे ले आता है
नादानी माफ़ करके हमारी
तू एहसान जताना भी भूल जाता है

रिश्ता निभाएं तो तू निभाये
जो भी देरी,गलती हो, हमारी है
संशय विषय का अंधेरा मेरे मन मे
तू सूरज की तरह साचा और बेदाग़ है

रिश्ता निभाएं तो तू निभाएं...

समुन्दर मे लेहरो की तरह
हमारा अस्तित्त्व है
हम उठते गिरते रेहते है
तू समुन्दर सा शांत गेहरा और कायम है

इतना सच्चा कैसे हो कोई
कुछ तो कमी हो कही
रौशनी तेरी शब्दों की मोहताज नही
और लीला समझ से बाहर है हमारी

रिश्ता निभाएं तो तू निभाएं
हमारी कोई औकात नही
समय समय पर तेरी याद रहे
इससे बड़ी ख़ुशनसीबी नही

रिश्ता निभाएं तो वो तू निभाएं..

हमें कोई अधिकार नही
ये श्रद्धा भी तेरीही देन है
सब का अंतिम अर्थ है तू 
तेरे से सम्पूर्ण है क़ायनात सारी

----मुक्ता